छहढ़ाला एक वहुत प्रचलित कविवर पण्डित श्री दौलतरामजी कृत जैन ग्रन्थ हैं। छहढ़ाला छह ढ़ाल (वर्गो) में विभाजित है तथा हरएक ढ़ाल करीव 15 से 17 छन्दो से सुसच्चित हैं। छहढ़ाला के सभी पद छोटे लगते है, अपितु गागर में सागर की कहावत को चरितार्थ करते हैं। इस