ॐ ब्रह्माण्ड का नाद है एवं मनुष्य के अन्तर में स्थित ईश्वर का प्रतीक है।ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामांतर प्रणव है। यह ईश्वर का वाचक है। ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य-वाचक-भाव संबंध नित्य है, सांकेतिक नहीं। संकेत नित्य या स्वाभाविक संबंध को प्रकट करता