Hindi Kavita: Bhige Adhar...

Bhige Adhar...
30 अप्रैल 2014
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नवीनतम संस्करण:
1.0

भोर के भीगे अधरों पर....
चीज़ें वही रहती हैं -
अभ्यस्त मन और आंखों से परे का आयाम, मन की सहजता के क्षणों में जब दिख जाता है तो वही कविता हो जाता है. शायरी के लिए जलाल, जमाल और कमाल की बात कही जाती रही है, देखी, सुनी और महसूस की जाती रही है.

पैकेज:
com.BNMCombines.VPSinghKavita
डेवलपर:
BNM COMBINES
श्रेणी:
मनोरंजन
आकार:
1.2 MB
Android आवश्यक है:
2.1 और बाद वाले वर्शन
अपडेट किया गया:
30 अप्रैल 2014
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