''अल्लाह के अनुसार सबसे प्रिय कर्म है, निरंतर कर्म करते रहना, भले ही वो थोड़े हो।'' (पैगंबर मुहम्मद साहब,उनपर शांति बनी रहे, की हदीस)। क्या आप अपने ईमान को भी सुधारना चाहते हैं?